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उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी: कला, संस्कृति एवं विरासत का संवाहक

कला की विविध और समृद्ध परंपराओं को संजोने के उद्देश्य से, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की स्थापना 13 नवंबर 1963 को की गई थी। आधी सदी से भी अधिक की अपनी गौरवशाली यात्रा में, अकादमी संगीत, नृत्य, नाटक, लोकसंगीत और लोकनाट्य की परंपराओं के प्रचार-प्रसार, संवर्धन और परिरक्षण का महत्वपूर्ण कार्य कर रही है।

हमारा इतिहास और उद्देश्य

जब प्रदेश सरकार द्वारा इसकी स्थापना की गई थी, तब इसका उद्देश्य प्रदर्शनकारी कलाओं का उन्नयन और परिरक्षण करना था और इसे उत्तर प्रदेश नाट्य भारती नाम दिया गया था। 2 सितंबर 1969 को इसे वर्तमान नाम उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी प्राप्त हुआ।

अकादमी के मुख्य उद्देश्य:

  • प्रदेश की संगीत, नृत्य एवं नाटक की परंपराओं को प्रोत्साहन देना और उनका प्रचार-प्रसार करना।
  • कलाओं और कलाकारों को संरक्षण प्रदान करना तथा उनका अभिलेखीकरण करना।
  • दूर-दराज़ के क्षेत्रों से विलुप्त होती कलाओं और उन कलाकारों को खोजकर लाना और उन्हें मंच प्रदान करना।
  • नई प्रतिभाओं को पहचान कर उन्हें कलाप्रेमियों के सामने लाना, ताकि कलाओं की परंपरा बची रहे।

अकादमी ने हमेशा यह दायित्व निभाया है कि सीमित संसाधनों के बावजूद भी पारंपरिक प्रदर्शनकारी कलाओं के संवर्धन के क्षेत्र में सतत कार्य चलता रहे।

प्रमुख गतिविधियाँ और कार्यक्रम

अपने 57 वर्षों की यात्रा में, अकादमी अपने मूल उद्देश्यों की पूर्ति के लिए नियमित रूप से तरह-तरह की योजनाएँ और कार्यक्रम आयोजित करती है। इनमें प्रमुख हैं:

कार्यक्रम का नामविवरणअवध संध्यासांस्कृतिक कार्यक्रमों की शृंखला।सम्भागीय नाट्य समारोहविभिन्न क्षेत्रों में नाट्य प्रस्तुतियों का आयोजन।रसमंचनाट्य एवं मंच कला से सम्बंधित कार्यक्रम।धरोहरअकादमी स्थापना दिवस पर आयोजित विशेष कार्यक्रम।यादेंग़ज़ल साम्राज्ञी बेगम अख्तर की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम।नमनकथकाचार्य पं. लच्छू महाराज की स्मृति में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम।

अकादमी द्वारा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध कलाकारों को आमंत्रित कर समय-समय पर विशिष्ट कार्यक्रमों का आयोजन भी कराया जाता है।

कथक कला का केंद्र

शास्त्रीय नृत्यों में कथक का महत्वपूर्ण स्थान है, और उत्तर प्रदेश में लखनऊ एवं बनारस जैसे घरानों ने इसमें उल्लेखनीय योगदान दिया है। अकादमी के अंतर्गत स्थापित कथक केंद्र लखनऊ घराने की कथक परंपरा को जीवंतता प्रदान करने का कार्य करता है।

कथक केंद्र के माध्यम से:

  • कथक की लखनऊ घराने की परंपरा का प्रशिक्षण दिया जाता है।
  • नवीन प्रयोगों के साथ कार्यक्रमों का निर्माण और मंचन किया जाता है।
  • समय-समय पर कार्यशालाओं, संगोष्ठियों और व्याख्यानों का आयोजन होता है।

सम्मान एवं प्रकाशन

अकादमी कलाओं के प्रोत्साहन के लिए प्रतिष्ठापरक अकादमी सम्मान प्रदान करती है, जिसके तहत 128 कलाकारों को एक साथ सम्मानित कर इसे अद्यतन किया गया है।

इसके अतिरिक्त, अकादमी के प्रकाशनों का विशेष महत्व है। कला और संस्कृति की पत्रिकाओं में "छायानट" को विशेष सम्मान मिला है, और इसके विशेषांकों की कलाप्रेमियों में हमेशा से प्रतीक्षा रहती है।

अकादमी की योजनाओं से न सिर्फ कला परंपराओं का संरक्षण होता रहे, बल्कि उनके कलाकारों को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने का साहस और आत्मविश्वास भी मिलता रहे।

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